सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह
अनवर शऊर
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
दाग़ देहलवी
Zindagi Ka Aaina ज़िन्दगी का आईना زندگی کا آئینہ brings you the best Hindi and Urdu love shayari/romantic poetry—pyar bhari and dard bhari shayari. We try to portray different aspects of life through our stories and poetry. We also publish articles that deal with almost all aspects of our social lives. Our content is original and heartfelt.
सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह
अनवर शऊर
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं
दाग़ देहलवी
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
निदा फ़ाज़ली
ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझ को
सोचता हूँ के कहूँ तुझ से मगर जाने दे
नज़ीर बाक़री
तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए
तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए
असर सहबाई
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम
के तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी।
अहमद फ़राज़
इस से पहले के बेवफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
अहमद फ़राज़
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
मिर्ज़ा ग़ालिब
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
अनवर शऊर
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
बशीर बद्र
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
राहत इंदौरी
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं
जाँ निसार अख़्तर
तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए
तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए
असर सहबाई
दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर क्या हो
जानता कौन है पराई चोट
फ़ानी बदायुनी
एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी
दर्द बे-चारा परेशाँ है कहाँ से निकले
सय्यद हामिद
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
जौन एलिया
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे
क़तील शिफ़ाई
मोहब्बत कर के देखो ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते
फ़रहत एहसासन
जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
बशीर बद्र
इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा
मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा
अदीम हाशमी
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
कृष्ण बिहारी नूर
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
जाँ निसार अख़्तर
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में
जॉन एलिया
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का नाम है
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
इमाम बख़्श नासिख़
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हमने बर्बाद ज़िंदगी कर ली
बशीर बद्र
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास...