Sunday, March 24, 2024

Love Shayari/Romantic Shayari/Pyar bhari Shayari/Love Poetry/Urdu Hindi Shayari

 


इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया 

वर्ना हम भी आदमी थे काम के 

मिर्ज़ा ग़ालिब

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ 

अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ 

अनवर शऊर

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 

न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए 

बशीर बद्र

उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो 

धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है 

राहत इंदौरी


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