Saturday, March 23, 2024

रुला देने वाली दर्द भरी शायरी / Dard Bhari Shayari / Sad Poetry

 



अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें 

कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं 

जाँ निसार अख़्तर

तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए 

तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए 

असर सहबाई


दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर क्या हो 

जानता कौन है पराई चोट 

फ़ानी बदायुनी

एक दो ज़ख़्म नहीं जिस्म है सारा छलनी 

दर्द बे-चारा परेशाँ है कहाँ से निकले 

सय्यद हामिद






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