Wednesday, March 27, 2024

Urdu Hindi Shayari/Dard Bhari Shayari/Judai Shayari/Romantic Shayari/Sad Poetry/Romantic Poetry



 बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता 

जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता 

निदा फ़ाज़ली

ज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझ को 

सोचता हूँ के  कहूँ तुझ से मगर जाने दे 

नज़ीर बाक़री

तुम्हारी याद में दुनिया को हूँ भुलाए हुए 

तुम्हारे दर्द को सीने से हूँ लगाए हुए 

असर सहबाई

हुआ है तुझ से बिछड़ने के बाद ये मालूम 

के तू नहीं था तेरे साथ एक दुनिया थी। 

अहमद फ़राज़

इस से पहले के बेवफ़ा हो जाएँ 

क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ

अहमद फ़राज़

 



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